The Glorious

HISTORY & LEGACY

⚜️ ⚜️ ⚜️
ठिकाना कसुम्बी (कसुमलगढ़) मारवाड़ के इतिहास में शौर्य, त्याग और इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है। यह केवल एक गढ़ नहीं, बल्कि केशरी सिंघोत जोधा राठौड़ों की आन-बान और शान का जीवित दस्तावेज है। आज यह गाँव सर्व-समाज के सद्भाव का प्रतीक है।

Ancient Origins & Name

पूर्व-इतिहास: राठौड़ों के आगमन से पहले यहाँ विदावत राजपूतों का वास था, जो कालांतर में यहाँ से मिंगना चले गए। यह क्षेत्र जोधपुर रियासत का एक अहम हिस्सा रहा है।

नामकरण का रहस्य (The Etymology)

अक्सर सवाल उठता है कि 'कसुम्बी' नाम क्यों पड़ा? इसका कारण यहाँ की वनस्पति और एक विशेष समाज है।

  • छिपा समाज और रंगरेज: पुराने समय में यहाँ 'छिपा' (Chhipa) समाज के लोग रहते थे, जिनका मुख्य पेशा रंगाई का था।
  • कसुमल घास: यहाँ के ताल में एक विशेष 'कसुमल घास' उगती थी। इसी घास को घोटकर 'केसरिया' (Saffron) रंग तैयार किया जाता था, जिसे राजस्थानी भाषा में 'कसुमल रंग' कहते हैं। इसी से साफे और पगड़ियाँ रंगी जाती थीं। इसी 'कसुमल' के नाम पर गाँव का नाम 'कसुम्बी' पड़ा।

The Foundation (स्थापना - 1841)

विक्रम संवत 1898 (सन् 1841 ई.) में बसंत पंचमी के पावन पर्व पर ठाकुर नारायण सिंह जी ने कसुमलगढ़ की नींव रखी। वे 'कांकछा तरनाव' से यहाँ पधारे थे।

रेत के टीले पर निर्माण: सुरक्षा की दृष्टि से उन्होंने गढ़ के लिए समतल जमीन नहीं, बल्कि एक बहुत ऊँचे 'रेत के टीले' (Sand Dune) को चुना। नींव के पास ही उन्होंने बाबा बालकनाथ जी की मूर्ति स्थापित की, जो गढ़ के आध्यात्मिक रक्षक हैं।

तीन जागीरों का संगम (The Triad)

कसुम्बी तीन जागीरों का एकीकृत रूप है। स्थानीय भाषा में इसे 'त्रिवेणी' जैसा माना जा सकता है:

Architectural Engineering (वास्तुकला)

कसुमलगढ़ की बनावट (Design) और इंजीनियरिंग अपने आप में एक शोध का विषय है। इसमें सुरक्षा, मौसम और मजबूती का अद्भुत संगम है:

🏗️ धोळा की छत (Vaulted Ceiling)

गढ़ के कमरों में पत्थर की पट्टियाँ (Slabs) नहीं डाली गई हैं। यहाँ 'धोळा की छत' (गुंबददार/Vaulted) तकनीक का प्रयोग हुआ है। इनकी ऊंचाई काफी अधिक है, जिससे भीषण गर्मी में भी कमरे वातानुकूलित (Cool) रहते हैं।

🌳 रोहिड़ा की लकड़ी (Marwar Teak)

मुख्य पोल (Main Gate) की छत में 'रोहिड़ा' (Rohida) की लकड़ी का इस्तेमाल हुआ है, जिसे मारवाड़ का सागवान कहते हैं। यह 'इंटरलॉकिंग' तकनीक से बिना सीमेंट के फँसाई गई है। इसमें दीमक नहीं लगती और यह 180 साल से अडिग है।

🧱 जारजा और झाझड़ा भाटा

निर्माण में स्थानीय खुदाई से निकले 'जारजा भाटा' और 'झाझड़ा भाटा' (Stones) का प्रयोग हुआ है। इनकी चिनाई चूने (Lime) से की गई है, जो सीमेंट से भी अधिक टिकाऊ है।

🏰 बुर्ज और रंग महल

गढ़ में सुरक्षा के लिए 3 विशाल बुर्ज हैं। बुर्जों के साथ बने शाही कक्षों को 'रंग महल' (Rang Mahal) कहा जाता था। गढ़ मुख्य रूप से 2 मंजिला है, लेकिन एक हिस्से में तीसरी मंजिल भी बनी है।

अन्य विशेषताएँ:
  • बड़ा चौक और तोड़े: गढ़ के बीच में एक विशाल चौक है जिसके चारों तरफ पत्थर के सुंदर 'तोड़े' (Brackets) लगे हैं।
  • जनानी ड्योढ़ी: रानियों के निवास (जनानी ड्योढ़ी) के प्रवेश द्वार पर गुलाबी पत्थर की 'कुसुमेदार मेहराब' और सुंदर नक्काशी है।
  • पिछला दरवाजा: गढ़ में आपातकाल या निजी उपयोग के लिए एक पीछे का दरवाजा भी मौजूद है।

Impregnable Defense (सुरक्षा तंत्र)

Tales of Valour (शौर्य गाथा)

ठिकाना कसुम्बी के इतिहास में ठाकुर रघुनाथ सिंह जी का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।

Imperial Gazetteer of India (1908): "The estate of Ladnun consists of seven villages yielding a revenue of about Rs. 20,000, and is held by a Thakur belonging to the Jodha sept of Rathor Rajputs."

Spiritual & Modern Kasumbi

आध्यात्मिक संबंध

Mysteries & Lost Heritage

Location & Legacy

गढ़ कसुम्बी के दर्शन हेतु मानचित्र (Map) का उपयोग करें:

Discover the Royal Lineage

VIEW FULL VANSHAWALI